सुंदरलाल बहुगुणा जी का जीवनपरिचय | Sundarlal Bahuguna Biography in hindi
Written by Dipak kalaskar
चिपको आंदोलन से सारे विश्व भर में जाने वाले चिपको आंदोलन के जनक सुंदरलाल बहुगुणा जी का हाल ही में कोरोना से निधन हुआ। वह ९४ साल के थे। उन्होंने अपनी सारी जिंदगी पर्यावरण को बचाने में लगायी थी। विश्व में उन्हें वृक्षमित्र नाम से भी जाना जाता है। तो चलिए आज हम इस आर्टिकल में पद्मश्री सुंदरलाल बहुगुणा जी का जीवनपरिचय विस्तार से समझते है।

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पद्मश्री सुंदरलाल बहुगुणा कोण थे ?
सुंदरलाल बहुगुणा एक जाने माने राजकारणी थे साथ ही वह विश्व प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी भी थे। उन्हें पर्यावरण से बहोत लगाव था। सुंदरलाल बहुगुणा जी को गाँधी जी के विचार बहोत अच्छे लगते थे इसीलिए गाँधी जी से भा कर उन्होंने राजनीती में कदम रखा था।
वह जगप्रसिद्ध चिपको आंदोलन के जनक भी माने जाते है
सुंदरलाल बहुगुणा जी का जन्म
सुंदरलाल बहुगुणा जी का जन्म भारत के उत्तराखंड राज्य के सिलयारा जिल्हे के मरोड़ में हुआ था। जिसे टिहरी गढ़वाल के नाम से भी जाना जाता है।
उनके पिता का नाम अंबादत्त बहुगुणा और माँ का नाम पूर्णा बहुगुणा था।
सुंदरलाल बहुगुणा जी का शिक्षण
सुंदरलाल बहुगुणा जी का प्राथमिक शिक्षण अपने गांव मरोड़ा में ही हुआ था। उसके बाद 18 साल के उम्र में वे ग्रेजुएट करने के लिए लाहौर चले गए वहा उन्होंने बी.ऐ (B.A) किया
उसके बाद सुंदरलाल बहुगुणा जी ने आगे एम्.ऐ (M.A) करना चाहा लेकिन आंदोलन के चलते वह इसे पूरा नहीं कर सके।
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सुंदरलाल बहुगुणा जी द्वारा चलाये गए आंदोलन
सुंदरलाल बहुगुना जी ने अपने पुरे जीवन काल में बहोत से विषयों पर आंदोलन किये लेकिन उनमेसे चिपको आंदोलन (Chipko Moment)सबसे खास तथा सफल रहा
टिहरी बांध के प्रश्नो के चलते सुंदरलाल बहुगुणा जी ने कही बार आंदोलन किया, इसके लिए उन्हें भूक हड़ताल भी करनी पढ़ी लेकिन स्थानिक लोगो का साथ न मिलने से वह आंदोलन यशस्वी नहीं हो सका. जिसके लिए सुंदरलाल जी को जेल भी जाना पढ़ा था।
1970 में भारत में पर्यावरण रक्षण के लिए अलग अगल जगह पर आंदोलन छेड़ा गया था। 1972 में सुंदरलाल बहुगुना जी ने चिपको आंदोलन की शुरुवात की थी जिसके चलते सुंदरलाल बहुगुणा जी को विश्व में पहेचान मिली। साथ ही उन्हें वृक्षमित्र के नाम से भी जाना जाने लगा
चिपको आंदोलन पेड़ को काटने के विरोद में छेड़ा गया दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्वक किया गया आंदोलन या विरोद था।
जरसल चिपको आंदोलन में लोग पेड़ो को चिपक कर उन्हें काटने से बचाते थे
चिपको आंदोलन के दौरान सुंदरलाल बहुगुणा जी ने कही गावों का दौरा किया और गांव गांव में पर्यावरण पर्यावरण का महत्त्व समजने का काम किया। ऐसे में उन्हें लगा की पर्यावरण सुरक्षा के लिए उन्हें कोई क़ानूनी ठोस कदम उठाया जाये जिससे पर्यावरण की सुरक्षा हो सके। इसी के चलते वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिले और 15 साल तक कोई भी पेड़ न काटने का आग्रह किया
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी यह सुझाव पसंद आया और उन्होंने १५ साल तक कोई भी पेड़ काटने पर क़ानूनी पाबंदी लगाई। सुंदरलाल जी के लिए पर्यावरण सुरक्षा के लिए देश का कानून लगाना एक बढ़ी उपलब्धि थी।
सुंदरलाल बहुगुणा जी को दिए गए पुरस्कार
- 1981 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार दिया गया, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया।
- 1987 में राइट लाइवलीहुड अवॉर्ड (चिपको मूवमेंट) मिला।
- 1986 में रचनात्मक कार्यों के लिए जमनालाल बजाज पुरस्कार मिला
- 1989 में IIT रुड़की द्वारा सामाजिक विज्ञान के डॉक्टर की मानद उपाधि प्रदान की गई।
- 2009 में पर्यावरण संरक्षण के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
सारी उम्र पर्यावरण रक्षा के लिए लड़ने वाले सुंदरलाल बहुगुणा जी की कोरोना संक्रमण से २१ मई २०२१ को ऋषिकेश, के अखिल भारतीय आयुर्विद्यान संस्तान (AIMS) में हुई।

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